दक्षिण अफ्रीका के प्रतिष्ठित क्रूगर नेशनल पार्क में हाल ही में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहाँ ज़हरीले हाथी के शव से भोजन करने के बाद कम से कम 123 गिद्धों की मौत हो गई। यह घटना वन्यजीव संरक्षण के लिए एक गंभीर चेतावनी है और अफ्रीका में गिद्धों की घटती संख्या की ओर इशारा करती है।
शिकारियों की नई चाल: ज़हरीले शव
SANParks और Endangered Wildlife Trust के अनुसार, शिकारियों ने एक हाथी को कृषि रसायनों से ज़हर देकर मारा और उसका शव छोड़ दिया। गिद्धों ने जब उस शव से भोजन किया, तो वे भी ज़हर के प्रभाव में आ गए। यह घटना गिद्धों की प्रजातियों के लिए एक बड़ा खतरा बन गई है, विशेषकर जब यह प्रजनन काल के दौरान हुई है।
प्रभावित प्रजातियाँ: संकट में गिद्धों का अस्तित्व
मृत गिद्धों में केप वल्चर, लापेट-फेस्ड वल्चर, व्हाइट-बैक्ड वल्चर और हूडेड वल्चर जैसी संकटग्रस्त प्रजातियाँ शामिल हैं। ये प्रजातियाँ पहले से ही IUCN की रेड लिस्ट में सूचीबद्ध हैं और इस घटना ने उनके अस्तित्व को और भी खतरे में डाल दिया है।
बचाव प्रयास: 83 गिद्धों की जान बचाई गई
इस त्रासदी के बावजूद, वन्यजीव अधिकारियों ने 83 गिद्धों को समय रहते बचा लिया और उन्हें उपचार के लिए विशेष वल्चर एम्बुलेंस और हेलीकॉप्टर की मदद से सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया। इन गिद्धों का उपचार जारी है और उम्मीद है कि वे जल्द ही स्वस्थ होकर वापस जंगल में लौटेंगे।
अफ्रीका में गिद्धों की स्थिति: एक व्यापक संकट
यह घटना अफ्रीका में गिद्धों की घटती संख्या का एक हिस्सा है। पिछले कुछ वर्षों में, शिकारियों द्वारा ज़हर का उपयोग बढ़ गया है, जिससे गिद्धों की कई प्रजातियाँ संकट में आ गई हैं। गिद्धों की संख्या में आई गिरावट ने पारिस्थितिकी तंत्र को भी प्रभावित किया है, क्योंकि वे मृत जानवरों को खाकर पर्यावरण को साफ रखते हैं।
🔗 संदर्भ और आगे की जानकारी:
- SANParks और Endangered Wildlife Trust की संयुक्त रिपोर्ट
- अफ्रीका में गिद्धों की स्थिति पर विस्तृत जानकारी
📸 चित्र विवरण:

चित्र: क्रूगर नेशनल पार्क में ज़हरीले हाथी के शव के पास मृत गिद्धों का दृश्य।
🔗 आंतरिक लिंक:
इस घटना ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि वन्यजीव संरक्षण के लिए हमें और अधिक सतर्क और सक्रिय होने की आवश्यकता है। गिद्धों की घटती संख्या न केवल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन सकती है। हमें मिलकर ऐसे प्रयास करने होंगे, जिससे इन महत्वपूर्ण पक्षियों का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।