बीजापुर, छत्तीसगढ़ | 6 मई 2025
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्थित इंद्रावती टाइगर रिज़र्व में वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल की गई है। 6 मई 2025 को भारतीय गिद्ध (Gyps indicus) और सफेद पीठ वाले गिद्ध (Gyps bengalensis) को उपग्रह टैग और रिंगिंग के पश्चात सफलतापूर्वक प्राकृतिक आवास में पुनः छोड़ा गया।
यह कार्य छत्तीसगढ़ सरकार के वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री, श्री केदार कश्यप जी के नेतृत्व में और प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव), छत्तीसगढ़ श्री सुधीर कुमार अग्रवाल (IFS) के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ।
इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का संचालन श्री आर.सी. दुग्गा, फील्ड डायरेक्टर, इंद्रावती टाइगर रिज़र्व एवं मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव), जगदलपुर सर्कल; श्री संदीप बलगा, उपनिदेशक, इंद्रावती टाइगर रिज़र्व; और श्री रंगनाथ रामकृष्ण वाय, वन मंडल अधिकारी, बीजापुर के नेतृत्व में किया गया।
गौरतलब है कि यह छत्तीसगढ़ में पहली बार हुआ है कि दो संकटग्रस्त गिद्ध प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास में सैटेलाइट टैग और रिंग किया गया हो। यह कार्य छत्तीसगढ़ वन विभाग और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) के संयुक्त सहयोग से सम्पन्न हुआ।
𝗦𝘂𝗰𝗰𝗲𝘀𝘀𝗳𝘂𝗹 𝗿𝗲𝗹𝗲𝗮𝘀𝗲, 𝘀𝗮𝘁𝗲𝗹𝗹𝗶𝘁𝗲 𝘁𝗮𝗴𝗴𝗶𝗻𝗴, 𝗮𝗻𝗱 𝗿𝗶𝗻𝗴𝗶𝗻𝗴 𝗼𝗳 𝗜𝗻𝗱𝗶𝗮𝗻 𝗩𝘂𝗹𝘁𝘂𝗿 𝗮𝗻𝗱 𝗪𝗵𝗶𝘁𝗲-𝗯𝗮𝗰𝗸𝗲𝗱 𝗩𝘂𝗹𝘁𝘂𝗿 𝗶𝗻 𝗜𝗻𝗱𝗿𝗮𝘃𝗮𝘁𝗶 𝗧𝗶𝗴𝗲𝗿 𝗥𝗲𝘀𝗲𝗿𝘃𝗲गिद्धों की यह कॉलोनी छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी मानी जाती है और यहां कई सक्रिय घोंसले पाए जाते हैं। ये दोनों गिद्ध प्रजातियां IUCN रेड लिस्ट में क्रिटिकली एंडेंजर्ड के अंतर्गत सूचीबद्ध हैं। ये पारिस्थितिक तंत्र में प्राकृतिक सफाईकर्मी की भूमिका निभाते हैं, जिससे इनका संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।
गिद्धों को पूरी सावधानी और विशेषज्ञों की निगरानी में पकड़ा गया। श्री सूरज नायर, फील्ड बायोलॉजिस्ट, इंद्रावती टाइगर रिज़र्व और श्री सचिन राणडे, बीएनएचएस के गिद्ध विशेषज्ञ, जिन्होंने इस क्षेत्र में 25 वर्षों से अधिक का अनुभव प्राप्त किया है, ने इस कार्य का नेतृत्व किया।
यह पूरा अभियान भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) की अनुमति एवं सभी वैज्ञानिक और नैतिक प्रोटोकॉल के तहत किया गया।

2 मई 2025 को गिद्धों की टैगिंग और रिंगिंग की गई थी, और 6 मई 2025 को उन्हें पूरी तरह स्वस्थ होने के पश्चात पुनः उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया।
इस दौरान 2 गिद्धों को सैटेलाइट टैग किया गया तथा 4 गिद्धों को रिंगिंग के माध्यम से चिह्नित किया गया। यह वैज्ञानिक डेटा संग्रहण और संरक्षण प्रयासों में अत्यंत सहायक सिद्ध होगा।
जंगल तक न्यूज इस सराहनीय प्रयास के लिए छत्तीसगढ़ वन विभाग, बीएनएचएस और सभी सहयोगी वैज्ञानिकों और अधिकारियों को हार्दिक बधाई देता है। यह कदम भारत में गिद्ध संरक्षण को एक नई दिशा देगा और आने वाले समय में इनके व्यवहार, उड़ान क्षेत्र और पारिस्थितिकी पर शोध को सशक्त बनाएगा।
Source: Mr. Suraj Nair (Field Biologist, Indravati TR)
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