मुंबई: साहित्यिक दुनिया में एक नई और अनोखी पहल के रूप में, मराठी कवयित्री मीनाक्षी मुकेश वालके ने Bamboo पर केंद्रित पहला मराठी कविता संग्रह ‘बम्बू रे बम्बू’ प्रकाशित किया है। डीओन पब्लिशिंग हाउस द्वारा प्रकाशित यह संग्रह न केवल मराठी साहित्य में, बल्कि पूरे भारत में बांस पर आधारित पहला कविता संग्रह माना जा रहा है।
इस संग्रह में मीनाक्षी वालके ने बांस की महत्ता और उसके विभिन्न पहलुओं को काव्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया है। संग्रह की कविताओं में बांस के औषधीय गुणों, पाषाण युग में उसकी उपयोगिता, और आधुनिक जीवन में उसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला गया है। इसके अलावा, कवयित्री ने बांस के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को भी उभारा है।
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संग्रह की प्रमुख कविताओं में ‘बम्बू की ग़ज़ल’, ‘औद्योगिक बाँस’, ‘वेणुवन’, और ‘आईटी का बाँस’ शामिल हैं, जो पाठकों को एक नई दृष्टि से बांस को देखने और समझने के लिए प्रेरित करती हैं। इस संग्रह में 36 कवि
ताएँ हैं, जिनमें से 11 कविताएँ विशेष रूप से बच्चों के लिए लिखी गई हैं, जो उनकी शिक्षा और जागरूकता को बढ़ाने का काम करती हैं।
मीनाक्षी वालके, जो स्वयं एक बांस शिल्पकार हैं, ने अपने सीमित शैक्षणिक अनुभव के बावजूद इस संग्रह को संजोया है, जिससे यह संग्रह और भी विशेष बन जाता है। बांस जैसे उपेक्षित विषय पर आधारित इस कविता संग्रह को साहित्य जगत में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।
वालके की कविताएँ न केवल बांस की महिमा गाती हैं, बल्कि मानवता और प्रकृति के प्रति करुणा का संदेश भी देती हैं। इस संग्रह को भारतीय साहित्य में एक नए और महत्वपूर्ण योगदान के रूप में देखा जा रहा है।