मध्यप्रदेश के दो अधिसूचित अभयारण्यों, सरदारपुर (धार) और सैलाना (रतलाम) में Kharmor (लेसर फ्लोरिकन) के संरक्षण के प्रयास अन्य राज्यों की तुलना में काफी पीछे हैं। राष्ट्रीय राजपत्र में अधिसूचित इन अभयारण्यों का अस्तित्व मुख्यतः कागजों तक सीमित है। इसके विपरीत, अन्य राज्यों में खरमोर के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
हाल ही में, नेशनल कम्पेंसेटरी एफॉरेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी (CAMPA) ने वर्ष 2024 से अगले पांच वर्षों के लिए खरमोर और गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) के संरक्षण हेतु ₹77.05 करोड़ का बजट स्वीकृत किया। इससे पहले, 2016 में राजस्थान को गोडावण संरक्षण के लिए ₹33.85 करोड़ का बजट दिया गया था, जिसमें निम्नलिखित कार्य किए गए:
– राजस्थान के जालौर जिले में गोडावण के लिए प्रजनन केंद्र की स्थापना।
– प्रजनन कार्यक्रमों की शुरुआत।
– गहन सर्वेक्षण और अनुसंधान के माध्यम से पारिस्थितिकीय समझ में सुधार।
इन उपलब्धियों के विपरीत, मध्यप्रदेश खरमोर संरक्षण में काफी पीछे है। दो महत्वपूर्ण अभयारण्यों के बावजूद, राज्य में राजस्थान जैसे प्रभावी संरक्षण प्रयासों की कमी स्पष्ट है।
राजगढ़ (धार) के सामाजिक कार्यकर्ता **अक्षय भंडारी** ने इस मुद्दे पर लगातार आवाज उठाई है। उन्होंने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखकर तत्काल कार्यवाही की मांग की है। ये मांगें भी की जा रही हैं
*अधिसूचना निरस्त :* 1983 की अभयारण्य अधिसूचना और 2020 की ईको-सेंसिटिव जोन अधिसूचना को रद्द कर नए और प्रभावी संरक्षण नीतियों की घोषणा की जाए।
*ईको-सेंसिटिव जोन का विस्तारः* अभयारण्यों के आसपास कम से कम 3-5 किलोमीटर का ईको-सेंसिटिव जोन घोषित
किया जाए ताकि वन्यजीव और उनके आवास को अधिक सुरक्षा मिल सके।
*रेलवे लाइन पर प्रतिबंध :* इंदौर दाहोद प्रस्तावित रेलवे लाइन, जो अभयारण्य से लगभग 2 किलोमीटर दूर है, पर प्रतिबंध लगाया जाए, क्योंकि यह पक्षियों और अन्य वन्यजीवों के लिए गंभीर खतरा है।
*समान संरक्षण कार्यक्रम* राजस्थान में लागू प्रभावी कार्यक्रमों को मध्यप्रदेश में भी दोहराया जाए।
*कृत्रिम गर्भाधान तकनीक :* राजस्थान में गोडावण पक्षी के लिए उपयोग की गई कृत्रिम गर्भाधान तकनीक को खरमोर के लिए भी लागू किया जाए।
**अक्षय भंडारी** ने यह भी बताया कि हाल ही में राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के दौरान अभयारण्य के आसपास साउंड बैरियर दीवारें बनाई गईं। लेकिन प्रस्तावित इंदौर-डाहोद रेलवे लाइन सरदारपुर अभयारण्य से लगभग 2 किलोमीटर दूर है। यह असमानता इस बात को और उजागर करती है कि एक व्यापक और प्रभावी संरक्षण नीति की तत्काल आवश्यकता है।
चूंकि खरमोर भारत की पारिस्थितिकी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसके अभयारण्य राष्ट्रीय राजपत्र में अधिसूचित हैं, सरकार को इसके संरक्षण की जिम्मेदारी निभानी चाहिए। सरदारपुर और सैलाना अभयारण्यों की अनदेखी एक गंभीर चिंता है। **अक्षय भंडारी** के अनुसार, “अभयारण्य का अस्तित्व केवल नाम तक सीमित नहीं होना चाहिए; वास्तविक और प्रभावी संरक्षण प्रयासों की जरूरत है।”
मध्यप्रदेश सरकार को खरमोर के संरक्षण के लिए राजस्थान की तरह तत्काल कदम उठाने चाहिए।
प्रेस नोट की लिंक https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2083802
फ़ाइल फोटो- अक्षय भण्डारी सामाजिक कार्यकर्ता राजगढ़ जिला धार मध्यप्रदेश मो.9893711820