India’s First DNA-Based Elephant Census Reveals 18% Population Decline Since 2017

भारत की पहली डीएनए-आधारित जंगली हाथी जनगणना (SAIEE 2025) से पता चला है कि 2017 के बाद से हाथियों की संख्या में 18% की उल्लेखनीय गिरावट आई है, और हाथियों की संख्या 27,312 से घटकर अनुमानित 22,446 रह गई है। पर्यावरण मंत्रालय, प्रोजेक्ट एलीफेंट और भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से संचालित यह अभ्यास वैज्ञानिक वन्यजीव निगरानी में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
लगभग 6.7 लाख किलोमीटर क्षेत्र में फैले जंगलों से 21,000 से अधिक गोबर के नमूने एकत्र किए गए और 4,065 विशिष्ट हाथियों की पहचान के लिए डीएनए फिंगरप्रिंटिंग का उपयोग किया गया, जिससे अत्यधिक सटीक अनुमान प्राप्त हुआ। सर्वेक्षण में एम-स्ट्राइप्स ऐप का उपयोग करके किए गए पैदल सर्वेक्षण, आवासों का उपग्रह मानचित्रण और आनुवंशिक विश्लेषण को शामिल किया गया, जिससे भविष्य की संरक्षण योजना के लिए एक मजबूत आधार रेखा तैयार हुई।
क्षेत्रवार, पश्चिमी घाट 11,934 हाथियों के साथ सबसे बड़ा गढ़ बना हुआ है, इसके बाद उत्तर पूर्वी पहाड़ियाँ और ब्रह्मपुत्र के बाढ़ के मैदान (6,559) हैं। कर्नाटक, असम और तमिलनाडु में देश के लगभग 60% हाथी रहते हैं, जबकि मध्य और पूर्वी भारत में इनकी छोटी और बिखरी हुई आबादी मौजूद है।
रिपोर्ट में आवासों की सुरक्षा, गलियारों को बहाल करने और मानव-हाथी संघर्षों को कम करने की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है, क्योंकि भारत दुनिया के शेष एशियाई हाथियों में से 60% से ज़्यादा का घर है। यह डीएनए-आधारित जनगणना इस प्रजाति के दीर्घकालिक संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक विज्ञान-आधारित ढाँचा प्रदान करती है।









