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खेतों की छाया: भारत में मानव-तेंदुआ संघर्ष की बढ़ती चुनौती

खेतों की छाया: भारत में मानव-तेंदुआ संघर्ष की बढ़ती चुनौती

परिचय
भारत में तेजी से बढ़ते शहरीकरण और वन क्षेत्रों के अतिक्रमण के कारण तेंदुओं और मनुष्यों के बीच संघर्ष की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। तेंदुए, जो पहले घने जंगलों में रहते थे, अब भोजन और आश्रय की तलाश में मानव बस्तियों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे दोनों के बीच टकराव की संभावना बढ़ गई है।

तेंदुआ (Common leopard)

सामान्य नाम- भारतीय तेंदुआ या सामान्य तेंदुआ (Indian leopard or common leopard)

वैज्ञानिक नाम- पैंथेरा पार्डस (Panthera pardus)

संख्या- कोई आधिकारिक देशव्यापी संख्या अनुमान उपलब्ध नहीं है। हालांकि, भारत के 17 बाघों की उपस्थिति वाले राज्यों में, तेंदुआ लगभग 1,74,066 वर्ग किमी. क्षेत्र में उपस्थित है, जो बाघ की उपस्थिति वाले क्षेत्र का लगभग दोगुना है।

ऊँचाई: 45-80 सेमी.

लंबाई: हैड बॉडी लेंथ- 100-190 सेमी., टेल लेंथ- 70-95 सेमी. 

वजन: नर- 30-70 किग्रा., मादा- 28-60 किग्रा.

This is a file photo of Leopard

हाल की घटनाएं
शरहामा गाँव, मावार, जम्मू-कश्मीर: दिसंबर 2024 में, एक दो वर्षीय बच्चे, हसनैन निसार, की तेंदुए द्वारा हमला कर हत्या कर दी गई। यह घटना क्षेत्र में मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीरता को दर्शाती है।
The Sun

उदयपुर जिला, राजस्थान: 2024 में, तेंदुए के ह मलों में आठ लोगों की मौत हुई, जिससे राज्य सरकार ने टाइगर रिजर्व के बाहर कैमरा ट्रैप विधि से तेंदुआ जनगणना का निर्देश दिया।

HUMAN.LEOPARD CONFLICT. RANTHAMBORE.RAJASTHAN

संघर्ष के मुख्य कारण
वन आवास का क्षरण: शहरीकरण और कृषि विस्तार ने तेंदुओं के प्राकृतिक आवास को संकुचित कर दिया है, जिससे वे मानव बस्तियों की ओर बढ़ने को मजबूर हैं।

प्राकृतिक शिकार की कमी: वन्यजीवों के शिकार और आवास हानि के कारण तेंदुओं के लिए प्राकृतिक शिकार की उपलब्धता घट गई है, जिससे वे पालतू जानवरों और कभी-कभी मनुष्यों को निशाना बनाते हैं।

अज्ञानता और जागरूकता की कमी: कई समुदायों में तेंदुओं के व्यवहार और सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी की कमी है, जिससे संघर्ष की घटनाएं बढ़ती हैं।

 समाधान और प्रयास
जागरूकता अभियान: महाराष्ट्र के जुन्नर क्षेत्र में, वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस ने स्कूलों और गांवों में तेंदुआ संघर्ष से बचाव के लिए जागरूकता सत्र आयोजित किए हैं।

human-leopard conflict file pic from India

प्रशिक्षण कार्यक्रम: पुणे जिले के जुन्नर क्षेत्र में, वन विभाग और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने मानव-तेंदुआ संघर्ष से निपटने के लिए स्वयंसेवकों के लिए छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है।

तकनीकी हस्तक्षेप: कुछ क्षेत्रों में, तेंदुआ गतिविधि की निगरानी के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और कैमरा ट्रैप का उपयोग किया जा रहा है, जिससे समय पर चेतावनी और उचित कार्रवाई संभव हो सके।

 सह-अस्तित्व की दिशा में कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि तेंदुओं के साथ सह-अस्तित्व संभव है, बशर्ते कि समुदायों को उचित जानकारी और संसाधन प्रदान किए जाएं। मुंबई के संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में “लिविंग विद लेपर्ड्स” कार्यक्रम के तहत, स्थानीय लोगों को तेंदुओं के साथ सुरक्षित रूप से रहने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
The Indian Express

निष्कर्ष
भारत में मानव-तेंदुआ संघर्ष एक जटिल मुद्दा है, जिसे केवल वन्यजीवों को हटाने या मारने से हल नहीं किया जा सकता। इसके लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें समुदायों की भागीदारी, जागरूकता, और तकनीकी उपाय शामिल हों। केवल तभी हम एक ऐसा वातावरण बना सकते हैं जहाँ मनुष्य और तेंदुए दोनों सुरक्षित और शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में रह सकें।

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