घटना का अवलोकन और मुख्य सहभागी
2024 के 16 जुलाई को, गुरू घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय ने वनिकी विभाग, छत्तीसगढ़ वन विभाग और जंगल तक के सहयोग से एक महत्वपूर्ण वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस पहल का हिस्सा बनने वाले “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान में लगभग 200 छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस घटना का उद्देश्य न केवल पेड़ लगाना था, बल्कि उनकी संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को बढ़ाना भी था।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथियों में अभिनव कुमार (भा. वे. से.), पर्यावरण संरक्षण समिति के अध्यक्ष अक्षय अल्करी, कार्यकारी उपाचार्य ए.के. सक्सेना, और सचिव ए.एस. रंदीप शामिल थे। उनकी उपस्थिति ने विश्वविद्यालय की हरितता को बढ़ाने का संकेत दिया।
वृक्षारोपण और छात्र सहभागिता
कार्यक्रम के दौरान लगभग 100 नीम और पीपल के पेड़ लगाए गए। छात्रों ने अपने योगदान को व्यक्तिगत बनाया था, पेड़ों पर स्लोगन और उनकी मां के लिए समर्पण की भावनात्मक स्लाइड्स पर लिखा था। यह व्यक्तिगत स्पर्श न केवल भावनात्मक मूल्य जोड़ता है, बल्कि प्रतिभात्मक संदेश को भी मजबूती देता है।
इस कार्यक्रम की योजना डॉ. अजय कुमार सिंह (वनिकी विभाग) और जंगल तक के संस्थापक रोशन खमारी द्वारा सख्ती से की गई थी। विभिन्न विभागों के संस्थानों के सदस्य ने वृक्षारोपण प्रक्रिया के आयामिक संचालन के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके मार्गदर्शन ने सुनिश्चित किया कि प्रत्येक पेड़ को ध्यानपूर्वक लगाया जाए और पर्यावरणीय स्थिरता के सिद्धांतों के अनुसार।
योगदान और मीडिया कवरेज
वृक्षारोपण कार्यक्रम की सफलता जंगल तक टीम द्वारा प्रभावी मीडिया प्रबंधन के माध्यम से बढ़ाई गई। प्रारंभ से अंत तक, घटना को सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से कवर किया गया, जिससे उसे व्यापक ध्यान और संवाद प्राप्त हुआ। इस प्रसारण ने सिर्फ घटना को दस्तावेजित किया ही बल्कि एक व्यापक दर्शक को भी पर्यावरण संरक्षण में उनकी भूमिका पर विचार करने के लिए प्रेरित किया।
प्रोफेसर एस.सी. तिवारी, विभागाध्यक्ष के.के. चंद्रा, प्रोफेसर एस.एस. धुरिया, डॉ. गरिमा तिवारी, डॉ. गुंजन पाटिल, डॉ. भावना दीक्षित, डॉ. ब्रिजेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ. अतुल कुमार भारद्वाज, डॉ. चंद्रेश कुमार सिंह और डॉ. चावलानी मानपूंग ने इस कार्यक्रम की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी विशेषज्ञता और समर्पण ने छात्रों को मार्गदर्शन दिया और लगाए गए पेड़ों की स्थायित्वता को सुनिश्चित किया।
निष्कर्ष
गुरू घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में वृक्षारोपण कार्यक्रम ने न केवल कैम्पस के हरित संरचना में योगदान किया, बल्कि छात्र समुदाय में पर्यावरणीय जिम्मेदारी को भी उत्तेजित किया। छात्रों को प्रक्रिया में शामिल करके और पेड़ों के संरक्षण के महत्व को उजागर करके, यह घटना भविष्य की पहली पहल के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बनी।
एकाधिकारिक संयोग और सरकारी एजेंसियों, और जंगल तक जैसे मीडिया मंचों के सहयोग से, इस पहल ने न केवल पेड़ लगाए, बल्कि युवाओं के मन में पर्यावरण संरक्षण की बुनियादी बातों की बीज भी बो दिए। ऐसे प्रयासों में महत्वपूर्ण रोल निभाने में यह बहुत महत्वपूर्ण है जो हमारे समुदायों में पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने और स्थायी विकास को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं।