Nilgai Culling in Bihar’s Nawada Sparks Legal and Ethical Debate
On-demand killings to protect crops ignite concerns over wildlife law, farmer distress, and rising human–wildlife conflict

Bihar के नवादा में, ज़िला अधिकारियों ने किसानों द्वारा बताई गई फ़सलों को होने वाले गंभीर नुकसान को रोकने के लिए Nilgai को मारने की इजाज़त दे दी है। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, खड़ी फ़सलों को बार-बार नुकसान होने की शिकायतों के बाद इस मौसम में लगभग 10-15 नीलगाय मारी गई हैं।
इस फ़ैसले से ज़ोरदार बहस छिड़ गई है, क्योंकि नीलगाय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित प्रजाति है, और उन्हें मारना आम तौर पर मना है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि लगातार खेती में नुकसान, किसानों की परेशानी और असरदार रोकथाम के उपायों की कमी के कारण प्रशासन को खास इजाज़त के तहत नियंत्रित शिकार की अनुमति देनी पड़ी।
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वन्यजीव विशेषज्ञों और संरक्षणवादियों ने चिंता जताई है, और चेतावनी दी है कि नीलगाय को मारना एक खतरनाक मिसाल कायम कर सकता है और स्थानीय इकोसिस्टम को बिगाड़ सकता है। उन्होंने सरकार से बाड़ लगाने, आवास प्रबंधन, एक जगह से दूसरी जगह ले जाने और मुआवज़े जैसी गैर-घातक विकल्पों पर विचार करने का आग्रह किया है। यह मुद्दा पूरे भारत में खेती वाले इलाकों में बढ़ते इंसान-वन्यजीव संघर्ष को दिखाता है।









