Tiger Poaching in Balaghat Sparks Outrage, Forest Officials Suspended Amid Cover-Up Allegations

मध्य प्रदेश के Balaghat ज़िले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहाँ लालबर्रा वन क्षेत्र में बाघों के संदिग्ध शिकार के कारण दो वन अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब प्रसिद्ध वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे ने हेड ऑफ़ फ़ॉरेस्ट फ़ोर्स (HoFF) को इसकी सूचना दी और स्थानीय वन कर्मचारियों पर न केवल एक बाघ की हत्या का आरोप लगाया, बल्कि मामले को छिपाने का भी प्रयास किया।
हेड ऑफ़ फ़ॉरेस्ट फ़ोर्स ने तुरंत एक आंतरिक जाँच का आदेश दिया, और प्रारंभिक निष्कर्षों में प्रक्रियागत खामियों की पुष्टि हुई, जिसके बाद आरोपी अधिकारियों के ख़िलाफ़ तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। घटनास्थल से एकत्र किए गए डीएनए नमूनों को सत्यापन के लिए एक फ़ोरेंसिक प्रयोगशाला भेज दिया गया है, और विस्तृत जाँच जारी है।
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इस घटना ने एक बार फिर मानसून के मौसम में भारत के जंगलों की कमज़ोरी को उजागर कर दिया है। घनी वनस्पति, कीचड़ भरा इलाका और शाकाहारी जानवरों की धीमी आवाजाही शिकार को आसान बना देती है, जबकि वन विभाग सीमित गतिशीलता और दृश्यता से जूझ रहा है।
वन्यजीव संरक्षणवादियों और पर्यावरण समूहों ने ऐसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में लुप्तप्राय प्रजातियों की सुरक्षा पर गंभीर चिंता जताई है और सख्त जवाबदेही और उन्नत निगरानी तंत्र की माँग की है। यह अवैध शिकार का मामला न केवल एक राजसी पशु की दुखद क्षति है, बल्कि भारत की वन संरक्षण प्रणाली में मौजूद खामियों की भी एक महत्वपूर्ण याद दिलाता है।









